वास्तुशास्त्र मे रंगो का विशेष महत्त्व है | विभिन्न रंगो का प्रयोग न सिर्फ़ हमारे संपूर्ण व्यक्तित्वको प्रभावित करता है अपितु आसपास के वातावरण पर भी सकारात्मक वनकारात्मक प्रभाव डालते है अत: भवन की बाह्य ऐव आंतरिक सज्जा के समय रंगो का चयन सावधानी पूर्वक करना चाईए |
भवन की आंतरिक सज्जा के समय व्यक्ति अपनी रूचि के साथ साथ अपनी जन्म राशि व नक्षत्र के अनुसार भी रंगो का चयन कर सकता है जिसकी चर्चा कुर्म पुराण मे की गयी है|
नक्षत्र रंग
अश्विनी - धुम्र रंग अथार्त सफेद ,कृष्ण ऐव पीले रंग के मिश्रण से तैयार रंग
भरणी - विविध वर्गी अथार्त सभी रंगो का समावेश
क्रतिका - गुलाबी ऐव ताम्र रंग
रोहिणी - काला व नीला रंग छोड़कर सभी रंग
मर्गसिरा - लाल रंग, क्तथई रंग ऐव सिंदूरी रंग
आद्रा - नीला ऐव श्वेत रंग
पुनर्वसू - पीला गुलाबी, ऐव पिताभ
पुण्य - सातो रंग शुभ , पीला व गुलाबी विशेष शुभ
आशलेषा - दूब जैसा हल्का हरा रंग ऐव गुलाबी
म्धा - गुलाबी रंग, भूरे रंग, ऐव गहरा लाल
पूर्वा फाल्गुनी- गुलाबी, हल्का नीला,सिंदूरी ऐव दूधिया रंग
उत्तरा फाल्गुनी - मानिक्य का रंग ऐव कत्थेइ
हस्त - पीला, पुष्प परागवर्ण ऐव चांदनी जैसा श्वेत वर्ण
चित्रा - गुलाबी ऐव गहरे रंग
स्वाति - सम्मिस्रित रंग
विशाखा - सुनेहरा, श्वेत ऐव पीला
अनुराधा - नीला व कबूतरी रंग
ज्येत्था - लाल, पीला, ऐव सम्मिस्रित रंग
मूल- भूरा, नींबू, नारंगी, भेड के बाल जैसा रंग
पूर्वाढ़ाढा- दूधिया,सफेद, कटहली जैसा रंग
उत्तराढ़ाढा - अरुण, हरित,व अरवरोटी रंग
श्रवण - सफेद रंग मिश्री जैसा
धनिष्ठा - सिंदूरी,ताम्रव्रण, बादामी रंग, लाल व पीले रंग का मिश्रण
पूर्वाभाद्रपदा - सुनेहरा, पूरावराजी रंग
उत्तरभाद्रपदा - श्याम ऐव नीला रंग
रेवती - हरा, दुवके रंग जैसा श्वेतवर्ण
इस प्रकार नक्षत्र राशियो को आधार मानकर की गई बाह्य ऐव आन्तरिक सज्जा व्यक्ति (ग्रहस्वामी)के उपर अनुकूल ऐव सकारात्मक प्रभाव डालकर उसे प्रगति की ओर अग्रसर करने मे सहायक होती है | और अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट पर जाए |