Friday 29 January 2016

नक्षत्र एव रंग का वास्तु मे महत्त्व

वास्तुशास्त्र मे रंगो का विशेष महत्त्व है | विभिन्न रंगो का प्रयोग  सिर्फ़ हमारे संपूर्ण व्यक्तित्वको प्रभावित करता है अपितु आसपास के वातावरण पर भी सकारात्मक नकारात्मक प्रभाव डालते है अतभवन की बाह्य ऐव आंतरिक सज्जा के समय रंगो का चयन सावधानी पूर्वक करना चाईए |
भवन की आंतरिक सज्जा के समय व्यक्ति अपनी रूचि के साथ साथ अपनी जन्म राशि  नक्षत्र के अनुसार भी रंगो का चयन कर सकता है जिसकी चर्चा कुर्म पुराण  मे की गयी है|

नक्षत्र                      रंग    
अश्विनी -           धुम्र रंग अथार्त सफेद ,कृष्ण ऐव पीले रंग के मिश्रण से तैयार रंग
भरणी -             विविध वर्गी अथार्त सभी रंगो का समावेश 
क्रतिका -         गुलाबी ऐव ताम्र रंग
रोहिणी -         काला  नीला रंग छोड़कर सभी रंग
मर्गसिरा -       लाल रंगक्तथई रंग ऐव सिंदूरी रंग
आद्रा -           नीला ऐव श्वेत रंग
पुनर्वसू -         पीला गुलाबीऐव पिताभ
पुण्य -           सातो रंग शुभ , पीला  गुलाबी विशेष शुभ
आशलेषा -     दूब जैसा हल्का हरा रंग ऐव गुलाबी
म्धा -           गुलाबी रंगभूरे रंगऐव गहरा लाल
पूर्वा फाल्गुनीगुलाबीहल्का नीला,सिंदूरी ऐव दूधिया रंग
उत्तरा फाल्गुनी - मानिक्य का रंग ऐव कत्थेइ
हस्त -         पीलापुष्प परागवर्ण ऐव चांदनी जैसा श्वेत वर्ण
चित्रा -        गुलाबी ऐव गहरे रंग
स्वाति -       सम्मिस्रित रंग
विशाखा -     सुनेहराश्वेत ऐव पीला
अनुराधा -     नीला व कबूतरी रंग
ज्येत्था -       लाल, पीला, ऐव सम्मिस्रित रंग
मूल-          भूरानींबूनारंगीभेड के बाल जैसा रंग
पूर्वाढ़ाढा-    दूधिया,सफेदकटहली जैसा रंग
उत्तराढ़ाढा - अरुण, हरित,व अरवरोटी रंग
श्रवण -        सफेद रंग मिश्री जैसा
धनिष्ठा -      सिंदूरी,ताम्रव्रण, बादामी रंग, लाल व पीले रंग का मिश्रण
पूर्वाभाद्रपदा - सुनेहरा, पूरावराजी रंग
उत्तरभाद्रपदा - श्याम ऐव नीला रंग
रेवती -         हरा, दुवके रंग जैसा श्वेतवर्ण

इस प्रकार नक्षत्र राशियो को आधार मानकर की गई बाह्य ऐव आन्तरिक सज्जा व्यक्ति (ग्रहस्वामी)के उपर अनुकूल ऐव सकारात्मक प्रभाव डालकर उसे प्रगति की ओर अग्रसर करने मे सहायक होती है | और अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट पर जाए | 

Wednesday 6 January 2016

व्रक्षो से वास्तुदोषो का निवारण

व्रक्ष ऐव वास्तु दोष :-

  • पीपल या बरगद का ईशान कोण मे होना |
  • मुख्य द्वार पर किसी भी बड़े व्रक्ष का होना |
  • उत्तर व पूर्व मे बड़े व घने व्रक्ष का होना |
  • घर या व्‍यवसायिक भूखंड के बीचो बीच किसी भी व्रक्ष का होना |
  • चारो ओर से व्रक्षो की छाया के बीच मे आवास होना |
  • तुलसी का पौधा दक्षिण या नेम्रत्य मे लगाना |
  • यदि किसी भूखण्ड मे पीपल या बड का पूर्व विकसित व्रक्ष लगा हो तो उसे नही खरीदना चाहिये |
  • भूखंड मे पीपल,नींबू,आम,खजूर,केला,बेर,आदि का स्वय उत्पन्न होना अशुभ होता है |
  • जिस घर मे व्रक्ष की छाया प्रथम प्ररह से अधिक व दो प्ररह तक रहती है उस व्रक्ष की शाखाए काटकर छायदोष समाप्त कर देना चाइये |
  • जिस घर मे व्रक्षो की छाया प्रथम और अन्तिम प्रहर को छोडकर दो तीन प्रहरो तक बराबर बनी रेह्ती हो वह छाया हमेशा दुख देने वाली होती है |



व्रक्षो से वास्तुदोषो का निवारण:-


  • नॉर्थ ईस्ट मे यदि बड़े व्रक्ष है तो उन्हे काट दे | उनके बदले अन्य व्रक्षो का व्रक्षारोपण सार्वजनिक स्थलो पर कर दे|
  • नॉर्थ ईस्ट मे लगे कांटेदार व्रक्षो या पौधो को हटा दे |
  • असमान्य आकार के भूखंड को व्रक्षो की पंक्ति द्वारा समान्य आकार का बनाया जा सकता है |
  • श्वेतार्क के पौधे को घर के दक्षिण या साउत वेस्ट मे लगाये परन्तु यदि कही से उखाडकर लगाना हो तो उसे विधिवत निमंत्रित करके ही रोपित करे| ऐसी मान्यता है की इसकी जड गणेशाकृति की होती है |
  • पूर्व दिशा कटी होने पर, दोष निवारण संभव न होने पर काले धतूरे का पौधा रोग निवृति मे सहायक होता है |
  • वास्तुदोष वाले व्रक्षो के कारण यदि संतती सम्बंधी कष्ट हो रहे हो तो उनका निवारण करने के पशचात सर्वजनिक व धार्मिक स्थलों पर फलदार वृक्षों को लगाना चाहिए | कुछ समय पशचात ही शुभ फल प्राप्त होने लगेंगे | यदि कोई  भूखंड खली है तो उसमे आग्नेय कोण में अनार का वृक्ष शुक्लपक्ष में हस्त नक्षत्र में लगाये |यह प्रयोग सुख समृदि तथा अर्ध प्राप्ति दायक होगा |
  • यदि आवास के पीछे गलत दिशा में तालाब , झरना, नदी,पहाड़ इत्यादि हो तो वहां दिशा के अनूसार निर्दिष्ट वृक्षों की कतार लगाकर दोष का संकुचन किया जा सकता है |
  • यदि घर के अगल - बगल  में कोई धार्मिक स्थल है या सम्मुख मूर्तिवेध है तो शुभ वृक्षों की कतार लगाकर वास्तु दोष का निवारण किया जा सकता है |
  • आवास के बाहर अशुभ वृक्ष होने  पर, आवास व वृक्षों  के बीच शुभ वृक्ष लगाकर इसकी अशुभता  को कम किया जाता है |
  • वृहद वास्तु माला में वर्णन है जो व्यक्ति एक पीपल , एक नीम,एक बरगद,दस इमली,तीन कैथ,तीन बेल,तीन आवला,और पांच आम के वृक्ष लगता है वह नरक के दर्शन नहीं करता है | 


अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर आइये:-http://www.myvaastu.in/Vastu-for-trees-and-plants.html

Sunday 3 January 2016

Graha Pravesh Tips

Things to be kept in Mind Before Graha-Pravesh (House Warming)

  • House warming function shall be done only after laying the roof slab, fixing the shutters for doors & windows  and  satisfying the Vastu Sacrifice ceremony.

  • Name Plates- After deciding the suitable name for the house preparing the name plate,board.It May be prayed in vastu-shanti  and embedded  on the wall on the house warming day itself.

  • There should be at least  one lamp  lighted during the period covering from the sunset to sunrise on the succeeding day.
 For more details and remedies for graha pravesh please visit us @ http://www.myvaastu.in